Education

कैरियर परामर्श

कैरियर प्लानिंग आज के समय की जरूरत है। आज का युग प्रतिस्पर्धा का युग है। नित नयी रोजगार सम्भावनायें विकसित होती है। अत: आवश्यक है कि छात्रों को ज्ञात हो कि नित नये उभरते हुए विकल्पों में मेरे लिए क्या श्रेष्ठ है। प्रत्येक व्यक्ति के अपने भविष्य के प्रति सपने एवं अपेक्षायें होती हैं, सपनों को यथार्थ में परिवर्तित करना आवश्यक है।
अक्सर अभिभावक ये प्रश्न करते हैं कि मेरे 16 वर्षों के पुत्र/पुत्री को क्या करना चाहिए? किसी ने मुझे सुझाव दिया है कि इंजीनियरिंग में हमेशा अच्छी सम्भावना रहेंगी क्या मैं भी अपने पुत्र/पुत्री को इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए भेजूँ।
मेरे पुत्र/पुत्री ने 12 कॉमर्स मे 95 प्रतिशत अंक प्राप्त किये हैं, क्या उसे दिल्ली यूनिवर्सिटी से बी०कॉम० कोर्स करना चाहिए या इकोनॉमिक ऑनर्स का कोर्स उचित रहेगा।

स्वयं को जानें

सही कोर्स चुनाव की प्रक्रिया का आरम्भ आत्म-अवलोकन से आरम्भ होना उचित है। सर्वप्रथम स्वयं को समझें और उसके अनुरूप अपने लिये कोर्स ढूँढ़ने की प्रक्रिया आरम्भ करें, किसी भी कोर्स अथवा कैरियर का चुनाव उसका सतही अवलोकन करके न करें, किसी दूसरे के पदचिन्हों का अनुसरण करना अपनी आदत न बनायें।
कैरियर प्लानिंग सही कोर्स का चुनाव किये बगैर सम्भव नही है कोर्स ही आपको आपके सपनों तक ले जाने का मार्ग है इसलिए कोर्स का सही चुनाव आवश्यक है अपने व्यक्तित्व की विशेषताओं को भली भाँति समझ कर उसके अनुरूप अपने लिये आगे के अध्ययन का मार्ग सुनिश्चित करें। स्वयं को जानने के लिए निम्नलिखित पहलुओं को समझना आवश्यक है। आपको अपनी रुचि, अभिरुचि, व्यक्तित्व एवं जीवन- मूल्यों का ज्ञान होना आवश्यक है:—

  1. अभिरुचि— किसी भी कार्य विशेष के प्रति व्यक्ति का स्वाभाविक रुझान अभिरुचि कहलाता है। ऐसे कार्य जिन्हें थोड़े-से प्रयास एवं प्रशिक्षण के द्वारा आप बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।
  2. रुचि— वो कौन से कार्य है जो आपको रुचिकर लगते हैं, वो कार्य जो आप लग्न के साथ लम्बे समय तक कर सकते हैं।
  3. व्यक्तित्व— प्रत्येक व्यक्ति दूसरे समकक्ष व्यक्ति से विशेषताओं में भिन्न है। अपनी विशेषताओं को समझें, कोर्स एवं कार्यक्षेत्र का चुनाव अपने व्यक्तित्व के अनुसार करें और सफल हों। व्यक्तित्व के निम्ललिखित प्रकारों की जानकारी रोजगारपरक कोर्स का चुनाव करने में मददगार है:—

व्यक्तित्व के प्रकार एवं कार्यों के प्रति रुझान:—

  • मैकेनिकल— शारीरिक दक्षता एवं गतिविधियों के प्रति रुचि, तकनीकी दक्षता इत्यादि। तकनीकी कार्यों के प्रति रुझान।
  • सोशल— सामाजिक गतिविधियों एवं सामाजिक परिवेश में मेल मिलाप। होटल इण्डस्ट्री, परिवहन विभाग, सामाजिक कार्यों के प्रति रुझान।
  • कन्वेन्शनल— नियम कानून एवं व्यवस्थित कार्य कलापों के प्रति रुचि एवं रुझान। वित्तिय एवं ऑफिस संबंधी कार्यों के प्रति रुझान।
  • एन्टरप्राइसिंग— दूसरों पर प्रभाव डालने के प्रति रुचि होना, प्रशासनिक कार्यों के प्रति रुझान होना।
  • इन्वेस्टिगेटिव— चिन्तन मनन करना, छानबीन करना, गहन सोच के बाद नतीजों पर पहुँचना। शोधपरक कार्यों के प्रति रुझान होना।
  • आर्टिस्टिक— कलात्मक क्रियाओं एवं कार्यों में रुचि। लेखन, गायन, वादन, पेन्टिंग कुकिंग इत्यादि के प्रति रुझान होना।
  1. जीवन-मूल्य एवं आदर्श— ये जानना आवश्यक है कि आपके जीवन एवं नैतिक मूल्य क्या हैं और आपके लिये कितने महत्वपूर्ण हैं। नैतिक मूल्य अपको कार्यक्षेत्र में संतुष्टि प्रदान करने में अहम् भूमिका निभाते हैं। अपनी रुचि अभिरुचि, व्यक्तित्व एवं मूल्यों को समझने के बाद अन्य आवश्यक विश्लेषण:—
  • आपकी विशेषताओं के अनुरूप कार्यक्षेत्र क्या है?
  • क्या चुना हुआ कार्यक्षेत्र आपको संतुष्टि प्रदान करेगा?
  • कार्यक्षेत्र में आगे बढ़ने की किस प्रकार की सम्भावनायें है?
  • वो कौन-से कोर्स हैं जो आपको अपनी पसंद के कार्यक्षेत्रों में जाने में मदद करेंगे?

ऊपर लिखे बिन्दुओं को जानने के उपरान्त जब कैरियर एवं कोर्स प्लानिंग करेंगे तो आप सफलता की ओर अग्रसर होगें।

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