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जीव-विज्ञान का महत्त्व, उपयोगिता एवं अध्ययन के प्रभावशाली सूत्र

जीव विज्ञान अपने आप में सम्पूर्ण विषय है, रोचक और विस्तृत भी। कक्षा 11 व 12 के लिए जीव विज्ञान का चुनाव रोजगार की दृष्टि से समझदारी भरा फैसला है।

सभी विषय अच्छे हैं, और सभी की अपनी उपयोगिता व आवश्यकता भी है। यह तय करना कि छात्र के लिए कौन-सा विषय अच्छा रहेगा और भविष्य में उसकी सफलता किस मार्ग से प्रशस्त होगी, वास्तव में एक दुरूह कार्य है। कोई छात्र अपनी बौद्धिक क्षमता व परिदृश्य के आधार पर यदि यह तय करने में सफल रहता है तो उसके भविष्य में सफल रहने की संभावना काफी अधिक रहती है और उसकी उन्नति में सहायक सिद्ध होती है।

आज के परिवेश में जब शिक्षा के प्रत्येक क्षेत्र में कठिन प्रतियोगिता है तो उस दशा में विषय पर आपकी मजबूत पकड़ और गहन अध्ययन की आदत अति आवश्यक है। वास्तव में, शिक्षित होना व सीखना दोनों अलग-अलग हैं। पढ़ते समय यह ध्यान रखें कि यदि आपको यही प्रकरण पढ़ाने के लिये कहा जाये तो क्या पढ़ा सकेंगे, यदि नहीं तो आपको और अधिक तैयारी की आवश्यकता है। कमी शिक्षा में नहीं है, कमी हमारी कार्यकुशलता या कौशल में है। यदि विषय में आप दक्षता रखते हैं, कुशल हैं, तो आपकी सफलता तय है।
जीव विज्ञान अपने आप में सम्पूर्ण विषय है, रोचक और विस्तृत भी। कुछ शब्दों में केवल सांकेतिक चर्चा ही संभव है, पूर्ण नहीं। कक्षा 10 के उपरान्त कक्षा 11 व 12 के लिए जीव विज्ञान का चुनाव करना वर्तमान समय में रोजगार की दृष्टि से समझदारी भरा फैसला है, निश्चित ही ऐसा रास्ता है, जो आपकी सफलता में सहायक सिद्ध होगा। औसत दर्जे के विद्यार्थी भी सफल हो सकते हैं। ऐसे बहुत-से कोर्स संचालित हो रहे हैं, जो कम खर्च व कम समय में किये जा सकते हैं तथा करने के पश्चात् नौकरी पा सकते हैं या अपना स्वयं का काम भी कर सकते हैं। मेडिकल लैब तकनीकी तथा फार्मा से सम्बन्धित यदि कोई छात्र मात्र दो साल का कोर्स D. Pharma कर लेता है, तो अपना मेडिकल स्टोर खोल सकता है या किसी मेडिसिन कम्पनी में नौकरी कर सकता है। वह छात्र B. Pharma द्वितीय वर्ष में प्रवेश ले सकता है या B. Pharma (बी-फार्मा) के बाद एम-फार्मा करके दवा बनाने की यूनिट लगा सकता है! ऐसा छात्र किसी फार्मेसी कॉलेज में अध्यापन कर सकता है और रिसर्च कार्य (Ph.D) कर सकता है। इस क्षेत्र में अवसरों की कोई कमी नहीं है और न ही आगे कमी रहेगी। मेडिकल लैब, टेक्नोलोजी, रेडियोलॉजी, नर्सिंग, डेण्टल टेक्नीशियन, आप्टीशियन (आँखें टेस्ट कर चश्मे बनाना) आदि ऐसे अनेक क्षेत्र हैं, जहाँ रोजगार के पर्याप्त अवसर हैं और भविष्य में भी रहेंगे। इसके अतिरिक्त खाद्य प्रसंस्करण, मुर्गीपालन, डेरी उद्योग, खरगोश पालन, मछलीपालन, सूअरपालन इत्यादि ऐसे ही क्षेत्र हैं।
यदि आप अच्छे छात्र हैं और चिकित्सा क्षेत्र में जाना चाहते हैं, तो NEET का एग्जाम पास करके M.B.B.S या B.D.S कर सकते हैं। इसके अलावा अन्य कोर्स जैसे B.A.M.S, B.H.M.S, B.U.M.S करके चिकित्सा कार्य कर सकते हैं। ये सभी कोर्स सरकारी व प्राइवेट दोनों प्रकार के कॉलेज से किये जा सकते हैं। इसके बाद नौकरी व स्वरोजगार दोनों के लिए अच्छे अवसर हैं, क्योंकि प्रशिक्षित चिकित्सकों की देश में भारी कमी है, B.VSc करके पशु-चिकित्सक भी बन सकते हैं। इसके उपरान्त M.D व M.S करके आप अध्यापन भी कर सकते हैं। यहाँ पर भी पर्याप्त संभावनायें हैं। इस छोटे-से आलेख में यह केवल कुछ जानकारी है और अधिक विवरण संभव नहीं है। परन्तु इस बात पर ध्यान दें कि विषय में कुशलता ही सफलता का पर्याय है।

जीव-विज्ञान अध्ययन के प्रभावशाली सूत्र

कक्षा 11 व 12 जीव-विज्ञान के छात्र यदि कुछ आवश्यक बातों का अनुपालन करें तो अध्ययन कार्य में बहुत सहायक हो सकती हैं।
ये प्रभावशाली सूत्र निम्न प्रकार हैं:—

  1. वर्तमान में जो पुस्तकें यू०पी० बोर्ड कक्षा 11 व 12 हेतु निर्धारित की गई हैं, वे एन०सी०ई०आर०टी० की पुस्तकों का हिन्दी अनुवाद है। इनमें कुछ अशुद्धियाँ हैं। अत: अध्यापक महोदय की बातों को ध्यानपूर्वक सुनते हुए, दूर कर लें।
  2. मुख्य शब्दों की हिन्दी के साथ-साथ अंगे्रजी में भी उन्हें याद करते चलें या अपनी पुस्तक के जिस अध्याय का आपने अध्ययन किया है, उसी अध्याय का अध्ययन एन०सी०ई०आर०टी० की पुस्तक से करें। भले ही आपकी वह समझ न आये। एक-दो बार पढ़ने पर समझ आने लगेगा और यह आपको कक्षा 12 के बाद बहुत सहायक होगा। क्योंकि जो कोई भी कोर्स आप करेंगे उसे अंग्रेजी मे ही पढ़ना होगा। यदि ऐसा करते चलेगें तो अध्ययन सम्बन्धी कोई भी समस्या आपको नहीं होगी।
  3. शारीरिक व मानसिक रूप में कक्षा में ही रहें जब अध्यापक पढ़ाये तो आवश्यक चीज नोट करते चले, कुछ ऐसी बाते अध्यापक महोदय जरूर बताते हैं, जो किताबो में आपको शायद न मिले।
  4. कई घण्टे लगातार न पढ़कर एक घण्टे बाद 10 मिनट अपनी पसन्द का कोई काम करें, जैसे अच्छा संगीत सुनें या मस्तिष्क को राहत देने वाला कुछ और हाँ, बीच-बीच में पर्याप्त पानी ले सकते हैं।
  5. रात्रि में अधिक जागने की अपेक्षा दिन के समय का सदुपयोग करें, पर्याप्त नींद लें।

चित्र बनाने के लिए

चित्र बनाने के लिए आवश्यक बातें निम्न प्रकार हैं—

  1. चित्र व आरेख की तैयारी अच्छी प्रकार से कर लें व इनके आधार पर उत्तर लिखने की कोशिश करें, रटने की अपेक्षा समझकर लिखें।
  2. पहले आकृति को ध्यानपूर्वक देखें तथा फिर देखकर बनायें।
  3. अब बिना देखे बनाने का प्रयास करें, न बने तो देखकर बनायें।
  4. चित्र पर लिखे नामों को हिन्दी व अंग्रेजी दोनों में ही याद करें।
  5. अब बिना देखे चित्र बनायें व ठीक प्रकार नामांकन करें।
  6. ऐसा करने पर आपको अभ्यास हो जायेगा व कम समय में आप आसानी से कठिन चित्र भी बना सकेंगे।

अति आवश्यक बातें

अनेक विद्वान एवं प्रबद्ध असाधारण व्यक्तित्व वाले अनुभव प्राप्त महानुभवों ने ऐसे महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं का उल्लेख किया है जिन्हें जीवन में ढालकर विद्यार्थीगण अपने जीवन को सफल बना सकते हैं। आप इन निम्नलिखित बिन्दुओं को ध्यानपूर्वक पढ़ें, इनका चिन्तन, मनन करें और व्यवहार में लायें। इससे आपका जीवन भी अनुकरणीय हो जायेगा :—

  • आत्मविश्वास— यह सफलता की वुंâजी है। यदि आपको अपने आप पर विश्वास है तो जरूर सफल होंगे। अपना १०० प्रतिशत प्रयास करें।
  • दोहराव— आज जो पढ़ते हैं, उसका कुछ भाग कल तक भूल जाते हैं। अत: समय-समय पर रिवीजन अवश्य करें।
  • सम्बन्ध जोड़ना— अध्ययन के समय चीजों को एक दूसरे से जोड़कर याद रखना हमेशा आसान होता है।
  • कल्पना— जो पढ़ रहे हैं, कल्पना करें कि वह आपके सामने हो रहा है यानी घट रहा है। आपको फिल्म की कहानी इसी वजह से और इसी आधार पर हमेशा याद रहती है, जबकि वह होती है काल्पनिक ही।
  • दिनचर्या— अपनी दिनचर्या सुव्यवस्थित रखें। नींद के समय से छेड़-छाड़ न करें, नींद मस्तिष्क की क्षमता बढ़ाती है। सुबह हल्का व्यायाम करें और टहलने अवश्य जायें।
  • टाइम-टेबल— घर पर पढ़ने का अपना टाइम-टेबल बनायें। यह पढ़ाई-लिखाई ओर स्वाध्याय का अच्छा प्रबन्धन है। पढ़ने की बेहतर रणनीति बनाने से सफलता के अवसर बढ़ते हैं। विषय की आवश्यकतानुसार अपनी रुचि से समय-सारिणी बनायें व इस असमंजस से बचें कि अब क्या पढ़ना है?
  • रुचि— आप अध्ययन व याद करने में भरपूर रुचि लें। आपका ज्ञान निरन्तर बढ़ेगा और यही आपकी सफलता भी निश्चित करेगा।
  • समझ— समझने व याद करने का अटूट सम्बन्ध है। समझकर याद करेंगे तो भूलेंगे नहीं। रटना अच्छी आदत नहीं है क्योंकि रटकर याद करने से जल्दी भूल जाते हैं।
  • रोचकता— विषय को रोचक बनायें। उदाहरण के लिए यदि आप कोई चित्र बनाते हैं, तो उसे रंगों के उपयोग से आर्वâषक बना सकते हैं। इससे यह आसानी से याद रहेगा। इसके लिए ड्राई पेन्सिल कलर प्रयोग करने से समय बचेगा।
  • परामर्श— कभी हताश न हों। कोई दिक्कत है तो माता-पिता व अध्यापक से जरुर बात करें। ज्यादातर अनुभव में आया है कि परामर्श लेने से बड़ी-बड़ी समस्याएँ सुलझ जाते हैं।

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