धरती का स्वर्ग है स्विट्जरलैंड
यह बात उन दिनों की है जब मैं पन्द्रह साल का था। मेरे शहर के एक सिनेमाघर में राजकपूर की ‘संगम’ फिल्म लगी थी। मैं बचपन से फिल्म देखने का शौकीन हूँ और मुकेश की आवाज में ‘संगम’ फिल्म के गाने मुझे बेहद पसंद हैं। दोस्तों के साथ ‘संगम’ देखी, फिल्म बहुत अच्छी थी। बाद में पता चला ‘संगम’ के कुछ हिस्से की शूटिंग स्विट्जरलैण्ड में हुई थी। दरअसल स्विट्जरलैण्ड में फिल्मों की शूटिंग की शुरुआत सबसे पहले राजकपूर से ही हुई थी। स्विट्जरलैण्ड प्राकृतिक सौन्दर्य भारत की बहुत-सी फिल्मों में समाया है। पहाड़ों के आँचल में बसा यह मनमोहक देश बॉलीवुड की अतुल्य विरासत बन गया है। स्विट्जरलैण्ड में बॉलीवुड की कई फिल्में शूट की गई हैं और सर्वाधिक फिल्में प्रसिद्ध निर्देशक यश राज चोपड़ा की शूट हुई हैं। उनकी सुपरहिट फिल्म ‘चाँदनी’ की शूटिंग भी यहीं हुई थी। फिल्मी पर्दे पर स्विट्जरलैण्ड के खूबसूरत नजारों की वजह से मैंने ‘एन इवनिंग इन पेरिस’ से लेकर यश चोपड़ा की आखिरी फिल्म ‘जब तक है जान’ तक सारी फिल्में देखी हैं। यूरोप के सभी देशों में बेशक स्विट्जरलैण्ड सबसे हसीन और मोहक देश है। इसे यूरोप का स्वर्ग कहा जाता है।
और स्वप्न साकार हुआ!
स्विट्जरलैण्ड के प्राकृतिक ऩजारे दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। आल्प्स पहाड़ियों से घिरी यह सुन्दर धरती यूरोप के भव्य पर्यटन स्थलों में से एक है। स्विट्जरलैण्ड के बर्फीले पहाड़ और चारों तरफ कालीन की माफिक फैली हरियाली हमें बुलाते हैं। दूर-दूर तक फैली रंग-बिरंगे फूलों की चादर, शान्त-भाव से चरती हुईं हृष्ट-पुष्ट गायों के दल, उपत्यकाओं में गूँजती उनके गले में बँधी घण्टियों की मधुर आवाज, दिशाओं में बहती शीतल मन्द बयार और स्वच्छ-सुन्दर लम्बे रास्ते—यूरोप के पार स्विट्जरलैण्ड को धरती का स्वर्ग बनाते हैं।
स्विट्जरलैण्ड का जादू प्रकृति-प्रेमियों, देश-देशान्तर के घुमक्कड़ों, लेखन में रुचि रखने वाले साहित्यकारों, तूलिका के मर्मज्ञ चितेरों, ट्रैकिंग के शौकीन व्यक्तियों और कैंपिंग जैसी गतिविधियों में दिचस्पी मेहमाननवाजी के लिए भी मशूहर है। इस देश की घड़ियाँ और चॉकलेट्स विश्वप्रसिद्ध हैं। ऐसी हसीन वादियों के देश में जाने के लिए भला किसका मन नहीं होगा!
मैं भी आए दिन स्विट्जरलैण्ड की सैर के सपने देखा करता था। एक दशक बीत गया लेकिन संयोग नहीं बना। सितम्बर वर्ष 2019 का महीना था। हमारा मित्र-समूह विविध-विषयों को लेकर बातचीत में मशगूल था। हठात् व्यापारी-मित्रों के साथ सीमा पार पर्यटन पर जाने की बात चल निकली। सिंगापुर, बाली, मलेशिया, दुबई, थाईलैण्ड से लेकर रूस और स्विट्जरलैण्ड चलने के प्रस्तावों पर चर्चा होने लगी। कार्यक्रम तय करने सम्बन्धी आयाम बहुत सारे थे। मतैक्य बनाने में बहुत देर हो चली, कहीं जाने में सुविधा थी तो कहीं जाने में दुविधा भी थी; अत: बात किसी-न-किसी बिन्दु पर बिगड़ जाती थी। अन्तत: पर्यटन का देश तय होने का सिलसिला स्विट्जरलैण्ड पर आकर थम गया। और इस तरह 01 नवम्बर को अपने व्यापारिक बन्धुओं के साथ स्विट्जरलैण्ड की सैर पर जाने का कार्यक्रम तय हो गया। यह बताता चलूँ कि इस टूर प्रोग्राम में मेरे साथ विद्या प्रकाशन मन्दिर (प्रा०) लि० के प्रबन्ध निदेशक श्री सौरभ जैन, चीफ टैक्नॉलॉजी ऑफिसर डॉ० रोहित खोखर के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, जम्मू और दिल्ली के अनेक पुस्तक व्यापारी शामिल थे।
जुंगफ्रॉ : आल्प्स ग्लेशियर का आनन्द
31 अक्टूबर, 2019 की रात में ही हम सब लोग नई दिल्ली स्थित इन्दिरा गांधी इन्टरनेशनल एयरपोर्ट पहुँच गए थे। 01 नवम्बर, 2019 की सुबह 10:30 बजे वाया दुबई स्विट्जरलैण्ड में ज्यूरिख के लिए हमने उड़ान भरी और 02 नवम्बर, 2019 को ग्रिन्डेलवाल्ड के रास्ते जुंगफ्रॉ जा पहुंचे। जुंगफ्रॉ स्विट्जरलैण्ड का बहुत ही आकर्षक व रोमांचक दर्शनीय स्थल है। यह आल्प्स पर्वतों में स्थित है जो यूरोप के शीर्ष के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ यूरोप की उच्चतम चोटी है जिसकी ऊंचाई 11,333 फुट है। आल्प्स पर्वत की बर्फ से ढकी हुई पहाड़ियों की खूबसूरती देखने से दिल नहीं भरता। यूरोप के सबसे बड़े ग्लेशियर का नाम आल्प्स ग्लेशियर है जिसकी शुरुआत जुंगफ्रॉ से होती है। यहाँ जाने के लिए काफी आरामदायक ट्रेनें हैं। चारों तरफ के मनोरम और बर्फीले पर्वतों का विहंगम दृश्य लोमहर्षक है।
जुंगफ्रॉ पीक पर व्यू प्वॉइंट्स बनाए गए हैं। वहाँ का स्फींक्स ऑब्जर्वेशन हॉल और और टेरेस देखते ही बनता है। आइस पैलेस काफी खूबसूरत है। आपको वहाँ हर तरफ बर्फ की सफेद चादरें दिखाई देंगी। जिस पर स्कींइग करते लोग दिखाई देंगे। बर्फ स्लेज में घूमने का कुछ अपना ही मजा है। यूरोप की उच्चतम चोटी का यह स्थान जितना अद्भुत आनंद की अनुभूति से भरा था, उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।
मध्याह्न भोज के बाद हम लोग इंटरलाकन-लेक विचरण के लिए निकले। शहर के दोनों तरफ काफी बड़ी लेक्स हैं। इंटरलाकन वेस्ट और इंटरलाकन ईस्ट नाम से रेलवे स्टेशन हैं और बीच में अतीव सुन्दर शहर है। चारों तरफ रंग-बिरंगे फूल और हरियाली देखकर दिल खुश हो गया। लेक्स की सुन्दरता देखते ही बनती थी। लेक्स पर घूमकर सभी को मजा आया। कुछ ने पैराग्लाइडिंग का लुत्फ भी उठाया। इस जगह की घड़ियाँ, परफ्यूम्स, काउबेल्स तथा चॉकलेट्स अपने प्रेमीजन को उपहार देने के लिए मशहूर हैं। इंटरलाकन का विचरण बहुत ही रोमांचकारी रहा। रात होते-होते हम लोग लौटकर ज्यूरिख आ गए।
पुस्तक-वितरक मिलन समारोह
03 नवम्बर, 2019, रविवार का दिन था। सुबह के समय विद्या प्रकाशन मन्दिर (प्रा०) लि० से सम्बद्ध पुस्तक-वितरकगण एवं व्यापारी बन्धुओं के साथ मिलन समारोह का आयोजन था। डोरेन्ट होटल के भव्य ऑडीटोरियम को विशेष रूप से सजाया गया था जिसमें कार्यक्रम सम्बन्धी सभी प्रकार की व्यवस्थाएँ की गई थीं। समस्त व्यापारी प्रतिनिधि ठीक समय पर समारोह स्थल पर एकत्र हो गए थे। कार्यक्रम के प्रारम्भ में प्रबन्धकारिणी पदाधिकारियों को पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया गया। इसके बाद विद्या प्रकाशन गान प्रस्तुत हुआ।
श्री पंकज जैन के उद्बोधन के पश्चात् विद्या प्रकाशन मन्दिर के उद्यम से सम्बन्धित सुप्रबन्धन तथा प्रकार्यात्मक पहलू पर दृश्य-शृव्य चलचित्र की प्रस्तुति हुई। विद्या प्रकाशन मन्दिर नये युग की आवश्यकताओं के अनुसार शैक्षिक तकनीकी के भरपूर उपयोग द्वारा शिक्षण-अधिगम के क्षेत्र में नित नवीन आयाम खोजकर शिक्षा-जगत् को अर्पित कर रहा है। प्रकाशन की एक बहुत उपयोगी और अनोखी Application है Learn forward जो नन्हें-मुन्ने बच्चों को सिखाने का सर्वथा नया Digital Programme है। Learn forward की Library में flipbook खोलने से पूरी किताब खुलकर सामने आ जाती है। समय की माँग के अनुरूप विकसित इस शिक्षण-अधिगम प्रविधि को पुस्तक-व्यापारियों के सम्मुख प्रदर्शित किया गया।
विद्या प्रकाशन मन्दिर (प्रा०)लि० के प्रबन्ध निदेशक श्री सौरभ जेन ने समारोह में उपस्थित व्यापारी बन्धुओं का हार्दिक स्वागत, वन्दन और अभिनन्दन किया। उन्होंने प्रकाशन के क्षेत्र में कम्पनी शोध प्रकोष्ठ की नई खोजों की चर्चा की और उनका बच्चों की वर्तमान व नई पीढ़ी के सन्दर्भ में व्यावहारिक प्रयोग भी बताया। उन्होंने व्यापारी बन्धुओं के साथ मिलकर Brilliant एवं Evershine Book की नई सीरीज का विमोचन भी किया।
अन्त में, टॉप के तीन वितरकों को कम्पनी के प्रबन्ध निदेशक द्वारा Excellence Award से अलंकृत किया गया। विद्या प्रकाशन मन्दिर के सौजन्य से स्विट्जरलैण्ड में एकत्र व्यापारी बन्धुओं ने अपने-अपने विचार व अनुभव बताए। सारांशत: सभी व्यापारीगण समारोह के कार्यक्रमों से उत्साहित व प्रेरित थे। उपस्थित व्यापारी बन्धुओं ने विद्या प्रकाशन मन्दिर की पुस्तकों की गुणवत्ता व उत्कृष्टता की सराहना की और नये शैक्षिक सत्र में प्रकाशन की पुस्तकों में अभिवृद्धि का संकल्प लिया।
ल्यूसर्न का सैर-सपाटा
हम लोग न्यूसर्न के लिए निकले। ल्यूसर्न स्विट्जरलैण्ड का छोटा-सा लेकिन बहुत खूबसूरत और आकर्षक शहर है। यहाँ की ट्रेनें बहुत तेज, साफ-सुथरी और आरामदेह हैं। इनमें सफर करने से थकान बिल्कुल नहीं होती। यहाँ का लेक और चैपल ब्रिज मशहूर पर्यटन स्थल है। यह रेलवे स्टेशन के सामने पड़ता है। चैपल ब्रिज का निर्माण चौदहवीं सदी में नगर की सुरक्षा के लिए सेंट पीटर चैपल ने कराया था। यह ब्रिज पूरी तरह लकड़ी का बना हुआ पुल है जिसके दोनों तरफ रंग-बिरंगे सुन्दर फूलों की साज-सज्जा है। पुल ऊपर से ढका हुआ है और अन्दरूनी हिस्से से ल्यूसर्न नगर के इतिहास को दर्शाते हुए मनमोहक चित्र बने हैं। इसके बाद हमने यहाँ का सबसे बड़ा आकर्षक स्थल माउण्ट पीलेट्स भी देखा।
मध्याह्न भोज करके हमारी प्रिय ट्रिप लेक ल्यूसर्न से क्रूज द्वारा प्रारम्भ हुई। बीच में सुन्दर गाँव, पहाड़ तथा दूर-दूर तक फैली हरियाल देखते हुए हम कॉगविल रेलवे स्टेशन तक आ पहुंचे। अब ज्यूरिख-लेक सैर की बारी का इंतजार था। शाम हो गई थी। लेक के शान्त निर्मल पानी में लाइट्स की रंग-बिरंगी मालाओं की झिलमिल के साथ आसमान के तारों का अक्स उतर आया था। रात के साये के साथ ठंड बढ़ती जा रही थी। ऐसे में चाय की चुस्कियों ने हम सभी में नए प्राण का संचार कर दिया था। यह प्रकृति का अजीब मनोरम दृश्य था।
3 नवम्बर के रात्रि-भोज के बाद व्यापारियों का पूरा ग्रुप घनिष्ठ मित्र-मण्डलियों में बँट गया और होटल के कमरों में देर रात तक पिछले दो दिन के भ्रमण की मीठी यादों को ताजा करने लगा। हर किसी का मन आनन्द की मस्ती में डूबकर नई उमंगों की छलाँगें लगा रहा था। अगले दिन के प्रोग्राम को लेकर कयास लगाते-लगाते सभी जन शयन के लिए निजी कमरों में चले गए।
जर्मनी का ब्लैक फॉरेस्ट
और 4 नवम्बर, 2019 की सुबह हो गई। सुबह नाश्ते के बाद हम जर्मनी देश के लिए रवाना हुए। जर्मनी के बादेनवुर्टेमबर्ग के अन्तर्गत सदर्न ब्लैक फॉरेस्ट में टिटिसी नाम की झील है। यह झील समुद्रतल से काफी ऊंचाई पर अवस्थित है और कहा जाता है कि इसकी तली नहीं (Botomless) और इसके ऊपर बर्फ की कम-से-कम 16 सेंटीमीटर मोटी तह बन जाती है।
दक्षिण-पश्चिम जर्मनी का ब्लैक फॉरेस्ट का इलाका जंगलों और पहाड़ों से घिरा है। इस हरे-भरे जंगल को रोमनो ने ब्लैक फॉरेस्ट का नाम दिया था। कभी यह जंगल इस कदर घना था कि यहाँ सूर्य का प्रकाश बिल्कुल नहीं जा पाता था। सुनते हैं कि घने पेड़ों की वजह से जंगल में दिन में भी अन्धकार ही रहता था। पहाड़ और पेड़ों से घिरा होने की वजह से इसे एक पर्वत-शृंखला के रूप में भी देखा जाता है। इस आयताकार ब्लैक फॉरेस्ट की ऊंचाई करीब 4893 फीट है। इसकी लम्बाई 200 किमी और चौड़ाई करीब 60 किमी है। ब्लैक फॉरेस्ट के नजदीक ही एक खूबसूरत राइन घाटी है।
मध्याह्न-भोज के बाद हमारा पर्यटन दल शॉफहोजेन की सैर के लिए निकल पड़ा। यह जर्मनी सीमा के नजदीक राइन नदी पर बसा एक टाऊन है। यह तीन तरफ से जर्मनी से घिरा है। शॉफहोजेन का इतिहास काफी पुराना और समृद्ध है। अप्रैल, 1944 को संयुक्त राज्य अमेरिका की वायु सेना के एयरक्राफ्ट्स ने त्रुटिवश यहाँ बमबारी की। बहुत सारे निवासियों ने हमले के दिन सायन की आवाज की उपेक्षा कर अनसुना कर दिया। परिणामत: हमले में 40 नागरिकों की मौत हो गई। कुछ भी सही मन की दीवार पर शॉफहोजेन और ब्लैक फॉरेस्ट का नाम सदा के लिए अंकित हो गया।
ज्यूरिख का जूलॉजिकल गार्डन दुनिया का बेहतरीन पर्यटक स्थल है। विभिन्न तरह के पशु-पक्षियों की वजह से इसकी गिनती यूरोप के सबसे अच्छे और देखने लायक चिड़ियाघरों में की जाती है।
अब राइन फाल्स के विचरण की बारी थी। यह स्विट्जरलैण्ड की सरहदों के भीतर एक खूबसूरत जगह है और बर्फ से ढके पहाड़ों का नजारा देखने के लिए आदर्श स्थान माना जाता है। बर्फ के पहाड़ पिघलने के वक्त यहाँ के दृश्य अतीव आकर्षक और देखने लायक बन जाते हैं। जानने योग्य तथ्य है कि ये बर्फीले पहाड़ पिघल-पिघलकर चूना पत्थरों पर गिरते हैं। घूमने की दृष्टि से राइन नदी में बोटिंग का मजा कुछ और ही है।
ज्यूरिख की वादियों में चहलकदमी
05 नवम्बर, 2019 हमारे यात्रा-कार्यक्रम का आखिरी दिन था। दिल्ली के लिए रात को फ्लाइट पकड़नी थी, इसलिए हमने दिल्ली लौट चलने के लिए तैयारी शुरू कर दी। सुबह का नाश्ता करके हमने होटल से चैक आउट की कार्यवाही पूरी की और हमारे साथ व्यापारियों का दल निकल पड़ा ज्यूरिख में सैर-सपाटे के लिए।
ज्यूरिख स्विट्जरलैण्ड का सबसे बड़ा शहर है और पर्यटन के लिए खास माना जाता है। इस खूबसूरत जगह पर अनेक शानदार साईट्सीइंग स्पॉट्स हैं। यहाँ का जूलॉजिकल गार्डन दुनिया का बेहतरीन पर्यटक स्थल है। विभिन्न तरह के पशु-पक्षियों की वजह से इसकी गिनती यूरोप के सबसे अच्छे और देखने लायक चिड़ियाघरों में की जाती है।
हमने ज्यूरिख की वादियों का पूरा लुत्फ उठाया। वहाँ के गौरवशाली चर्च देखे, भव्य रेलवे स्टेशन देखा, सुन्दर-समृद्ध और लुभावने मॉलों में चहलकदमी की और जमकर शॉपिंग भी की।
शाम होते-होते हम ज्यूरिख एयरपोर्ट पर पहुँच गए। पोर्ट की सभी औपचारिकताएँ खत्म हुईं। सभी इकट्ठा बैठकर प्लेन में बैठने का इन्तजार कर रहे थे। पर्यटक-मित्रों के चेहरों पर खुशी झलक रही थी और हृदय आनन्दित था। पर्यटन की दृष्टि से आदर्श माना जाने वाला आकर्षक देश स्विट्जरलैण्ड विश्वभर के पर्यटकों की पहली पसंद है। व्यापारी-मित्रों ने स्विट्जरलैण्ड की वादियों को नमन करते हुए इ़जहार किया कि अब वे वर्षपर्यन्त जमकर कमाएँगे और फिर से स्विट्जरलैण्ड घूमने आएँगे लेकिन इस बार पूरे परिवार के साथ।