टाइम टेबल
जनवरी आरम्भ होते ही परीक्षा का बुखार छात्रों को अपनी गिरफ्त में लेना आरम्भ कर देता है। बोर्ड परीक्षा परिणाम भविष्य-निर्धारण की दिशा सुनिश्चित करता है। आवश्यक है कि बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए छात्र अपने को पूर्ण रूप से तैयार अनुभव करें।
बोर्ड तैयारी में सेल्फ स्टडी की मुख्य भूमिका है। सेल्फ स्टडी यदि सुनिश्चित एवं योजनाबद्ध हो तो अधिक लाभ देता है। आवश्यक है ये जानना कि—
- अपना विषयवार पाठ्यक्रम जानें तथा प्रत्येक विषय के उत्तर लिखने की पद्धति भिन्न है। प्रत्येक विषय के चैप्टर के अनुसार मुख्य बिन्दु भी याद रखें।
- ‘कब पढ़े एवं कैसे पढ़ें’? विषय का उपलब्धि समय के अनुसार लक्ष्य निर्धारित करें।
- पढ़ाई का स्थान सुनिश्चित करें।
सर्वप्रथम आप अपना टाइम टेबल बनायें टाइम टेबल छोटी समयावधि एवं लम्बी समयावधि के लिए बनायें टाइम टेबल बनाने से पूर्व निम्नलिखित बिन्दुओं को सुनिश्चित करें।
अध्ययन के विषयों को कठिनाई स्तर के अनुसार तीन श्रेणियों मे विभाजित करें—
- आसान विषय
- सामान्य कठिनाई वाले विषय
- मुश्किल विषय
अपनी दिनचर्या सुनिश्चित करें
अगर आपके पास अध्ययन के लिए 6 घंटे शेष हैं तो आपको इन 6 घंटों को किस प्रकार प्रयोग करना है, टाइम टेबल बनाते हुए निम्नलिखित बिन्दुओं को ध्यान में रखें—
- प्रतिदिन एक सरल विषय को अध्ययन का लक्ष्य निर्धारण कर अध्ययन करें।
- अगले दिन अध्ययन किए गए विषय को लिखकर अभ्यास करें एवं कोई एक नया विषय पढ़ें।
- प्रत्येक सप्ताह के अन्त में कोई दो सैम्पल पेपर परीक्षा अनुसार 3 घंटे में हल करने का प्रयास करें।
- प्रत्येक 3-4 दिन के अन्तराल पर विषयों को बदलकर अध्ययन करें।
- टाइम टेबल का नियमित पालन करने का प्रयास करें।
परीक्षा तनाव
परीक्षा हो और तनाव न हो, यह सम्भव नहीं। मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण परीक्षा के प्रति कुछ सीमा तक तनाव को लाभकारी मानता है।
अधिक तनाव हमारे प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। परीक्षा की तैयारी के दिनों में आवश्यक है कि छात्र अपने अन्दर होने वाले तनाव की लक्षणों को पहचानें। निम्नलिखित लक्षण हमें तनावग्रस्त होने की जानकारी देते हैं—
- नींद न आना या अत्यधिक नींद आना।
- भूख न लगना या अत्यधिक भूख लगना।
- बात-बात पर उत्तेजित होना।
- बिना कारण रोना।
- अकेले रहने की इच्छा होना।
ऊपर लिखे लक्षण होने पर निम्नलिखित उपायों की मदद से अपना तनाव कम करें—
- नियमित दिनचर्या का पालन करने का प्रयास करें।
- पौष्टिक हल्का एवं नियमित खान-पान।
- खेल कूद एवं नियमित व्यायाम करें।
- स्वस्थ मनोरंजन /हल्का संगीत सुनें।
- नियत स्थान पर बैठकर अध्ययन करें।
- प्रतिदिन 15 मिनट शांत बैठकर ध्यान लगाने का प्रयास करें।
- मोबाइल का प्रयोग कम करें।
- दूसरों से तुलना करने से बचें।
- अति महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य-निर्धारण से बचें।
- स्वयं पर भरोसा रखें एवं आत्मविश्वास बनाए रखें।
- कुछ देर धूप में अवश्य जायें।
- जो मुद्दे तनाव देने वाले हैं उन्हें एक कागज पर लिखें।
- एक साथ एक से अधिक कार्य करने से बचें।
- स्वयं को सकारात्मक विचार एवं भाव दें।
मोबाइल
आज के युवावर्ग का जीवन मोबाइल एवं तकनीक के इर्द-गिर्द सीमित होकर रह गया है। मोबाइल का अत्यधिक प्रयोग छात्र-छात्राओं एवं युवावर्ग में तनाव, अवसाद एवं व्यवहार से सम्बन्धित अनेक नुकसानदायक लक्षणों एवं समस्याओं को उत्पन्न कर रहा है। आगामी कुछ माह छात्रों के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं, बोर्ड परीक्षा की तैयारी आरम्भ हो गई है, अत: ऐसे में आवश्यक है कि मोबाइल प्रयोग का समय निश्चित एवं उपयोगी हो।
यदि मोबाइल पर गेम खेलना आदत बन गयी है तो थोड़ा आत्मावलोकन करें। मोबाइल गेम की आदत छात्रों में निम्नलिखित दुष्प्रभाव उत्पन्न कर रही है—
- उत्तेजना, चिड़चिड़ापन एवं क्रोध।
- ध्यान न लगा पाना।
- नींद में व्यवधान।
- सामाजिक संबंधों का खत्म होना एवं तनाव।
- पढ़ाई एवं अध्ययन से सम्बन्धित प्रदर्शन में गिरावट।
- भूख न लगना।
- अवसाद एवं तनाव।
ऊपर लिखे लक्षण अगर आप अपने व्यक्तित्व में देख रहे हैं तो आवश्यक है आत्मावलोकन कर समस्या से निकलने के लिए निम्नलिखित प्रयास करें—
- आगामी 3 महीने आप व्यक्तिगत स्मार्ट फोन न रखें, पुराना की -पैड फोन प्रयोग करें।
- एक रूटीन बनाएँ जिसमें फोन बंद करके दूर रखने का उल्लेख हो, उस समय खेल-कूद या व्यायाम करें।
- अपने पसंदीदा फोन ऐप को परीक्षा तक बंद रखें।
- फोन का प्रयोग अलार्म के लिए न करें।
- अध्ययन के लिए अपने बोर्ड द्वारा निर्धारित पुस्तकों एवं क्लास नोट्स का ही प्रयोग करें।
- सोशल मीडिया को आने वाले तीन महीनों तक सीमित रखें।
- दोस्तों से मोबाइल पर बातचीत का समय निश्चित एवं सीमित करें।
- Doubt Clearance हम फोन पर न करके अपने अध्यापकों से पूछें।
टाइम वेस्टर
क्या आप अध्ययन के स्थान पर बैठने से पहले 15 मिनट अपना सामान एकत्र करने में व्यस्त रहते हैं?
बार-बार कार्य बदलना। अध्ययन के दौरान बगैर सोचे एवं जाने भी हम अपना समय व्यर्थ कर देते हैं।
यह जानना आवश्यक है कि एक छात्र कहाँ और कितना समय व्यर्थ करते हैं। कुछ प्रमुख टाइम वेस्टर इस प्रकार हैं—
- मोबाइल गेम्स।
- टी०वी०।
- सामाजिक गतिविधियाँ।
- सोशल मीडिया।
- एक साथ एक से अधिक कार्य करने का प्रयास।
- कठिन कार्य एवं विषय को आगे के लिए टाल देना।
- अध्ययन के लिए सही समय का चुनाव न कर पाना।
- कार्य की समय-सीमा निर्धारित न होना।
अध्ययन की प्रभावी आदत
परीक्षा का समय पास आने के साथ ही छात्रों की सेल्फ स्टडी की गति तेज हो जाती है।
- अत्यन्त आवश्यक है कि दिसम्बर, जनवरी एवं फरवरी में अध्ययन अधिक प्रभावशाली पद्धति से किया जाए।
- अध्ययन का समय एवं स्थान सुनिश्चित करें।
- प्रत्येक विषय के अध्ययन से पूर्व आवश्यक सामग्री एकत्र करें।टाइम टेबल के अनुसार अध्ययन करें। उदाहरण : गणित के अध्ययन के लिए किताब, कॉपी, पेन्सिलबॉक्स, ज्योमिट्रीबॉक्स इत्यादि।
- लिखकर अभ्यास करें।
- विषयवार प्रत्येक सप्ताह एक सैम्पल पेपर 3 घंटे में पूर करें।
- चार्ट, डायग्राम बनाकर अभ्यास करें।
- सैम्पल पेपर को भी क्रमवार हल करने का प्रयास करें।
- अध्ययन के पूर्व अपना फोन बंद कर दें।
- टी०वी० के सामने बैठकर पढ़ने का प्रयास न करें।
- सदैव मेज-कुर्सी पर बैठकर अध्ययन करें।
- एक घंटा पढ़ने के बाद 5-10 मिनट उठकर टहलें।
- यह भी जानने का प्रयास करें कि दिन के किस प्रहर में आप बेहतर अध्ययन एवं अवधारणा कर पाते हैं, उस समय का अधिकतम उपयोग करें।
परीक्षा के दिन की सावधानी
परीक्षा के दिन प्रात:काल का समय छात्र के लिए अत्यन्त तनाव एवं घबराहट उत्पन्न करता है। विभिन्न प्रकार के भय एवं भावनाएँ छात्र को प्रभावित करते हैं। ये भावनाएँ प्राय: परीक्षा प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
अत्यन्त आवश्यक है कि हम परीक्षा के दिन किसी भी प्रकार की नकारात्मक भावनाओं से स्वयं को सुरक्षित रखें—
- परीक्षा की सुबह कुछ भी नया पढ़ने से बचें।
- 15 मिनट पहले अपने परीक्षा कक्ष पर पहुँचने का प्रयास करें।
- अपने स्टेशनरी एवं सभी जरूरी कागज; जैसे—स्कूल का पहचान-पत्र, प्रवेश-पत्र जरूर चेक कर लें।
- हल्का नाश्ता करके घर से निकलें।
- परीक्षा कक्ष के बाहर दोस्तों के साथ बातचीत में हिस्सा न लें, किसी भी नए डिस्कशन से बचें।
- परीक्षा कक्ष के अन्दर जाने के बाद 5 मिनट गहरी साँस खींचें एवं छोड़ें, यह आपको भावनात्मक संतुलन प्रदान करेगा।
- प्रश्न-पत्र मिलने पर कम-से-कम 2-3 बार पढ़ें।
- सर्वप्रथम आसान प्रश्न या पाठ से आरम्भ करें—यह आत्मविश्वास बढ़ाता है।
परीक्षा कक्ष की सावधानी
- प्रश्न-पत्र ध्यान से दो या तीन बार पढ़ें।
- कठिन प्रश्नों को देखकर चिंतित न हों।
- उत्तर लिखना आरम्भ करने से पहले उसकी रूपरेखा सोचें, तत्पश्चात् लिखना आरम्भ करें।
- अपने लेखन की गति पर ध्यान दें।
- घड़ी पर निगाह रखें।
- किसी भी प्रश्न को सोचने में बहुत समय न लगाएँ।
- प्रश्न्-पत्र हल करने के बाद उत्तर अवश्य दोहराएँ।
- उत्तर-पुस्तिका की प्रविष्टियाँ सफाईपूर्वक भरें।
परीक्षा में समय प्रबन्धन
समय प्रबन्धन आज सफलता का मूल मंत्र है। परीक्षा के दौरान या परीक्षा की तैयारी के दौरान सही समय प्रबन्धन आपको सफल होने में सहयोग देता है, साथ ही छात्र को तनावरहित रहने में सहयोग देता है।
समय प्रबन्धन एक कौशल है। कई बार इसके अभाव में परीक्षा की अच्छी तैयारी भी अपेक्षित परिणाम नहीं दे पाती।
समय प्रबन्धन के लिए कुछ विशेष बिन्दुओं पर ध्यान देना आवश्यक है—
- प्रश्न-पत्र में दिए हुए प्रश्नों को अपनी जानकारी एवं ज्ञान के आधार पर आसान एवं कठिन की श्रेणी में रखें।
- आसान प्रश्नों को पहले करें।
- प्रश्न-पत्र को क्रमबद्ध रूप में हल करें।
- जिन प्रश्नों के उत्तर नहीं आते, उन प्रश्नों के लिए उचित जगह छोड़कर अगले प्रश्न पर आगे बढ़ जाएँ।
- किसी भी एक प्रश्न पर अधिक समय न व्यतीत करें।
- प्राय: प्रश्न-पत्र 3 भागों/खण्डों में विभाजित होता है, ध्यान रखें, किसी भी एक भाग/खण्ड पर आवश्यकता से अधिक समय न दें।
- अभ्यास के दौरान प्रश्न-पत्र के तीनों भागों/खण्डों को दिया जाने वाला समय सुनिश्चित करें।
- प्रत्येक प्रश्न-पत्र में आवश्यकता अनुसार ग्राफ, चार्ट एवं चित्र अवश्य बनाएँ एवं रेखांकित करें।
- घड़ी पर निगाह रखें।
- प्रश्न-पत्र हल करने से पहले 2-3 बार अवश्य पढ़ें। यह चिन्तन करें कि प्रत्येक प्रश्न आपसे किस प्रकार के उत्तर की अपेक्षा रखता है।