शिक्षा शब्द का अर्थ सीखना, ग्रहण करना अथवा विद्या प्राप्त करना है। शिक्षा के अन्तर्गत ही विद्या शब्द का प्रयोग किया गया है। विद्या शब्द की उत्पत्ति ‘विद्’ धातु से हुई है और ‘विद्’ शब्द से विद्वान शब्द निर्मित हुआ है, जिसका अर्थ है विद्या विशिष्ट, पंडित या तत्त्ववेत्ता। शिक्षा, विद्या शब्द से अलग अर्थ रखता है। विद्या से तात्पर्य किसी विशिष्ट ज्ञान से पूर्ण दक्षता प्राप्त करना है किन्तु शिक्षा से तात्पर्य ज्ञान के समग्र रूप से है। जिस तरह बदलते वक्त के साथ पैसा रुपये में, झोपड़ी बिल्डिंग में, खड़ंजा सड़क में तब्दील हो रहे हैं, ठीक उसी प्रकार आज शिक्षा व्यवस्था का स्वरूप बदल रहा है। शिक्षा के स्वरूप में आए इस नये परिवर्तित आयाम को हम ई-लर्निंग के नाम पहचानते हैं।
ई-शिक्षा या ई-लर्निंग है क्या?
ई-लर्निंग शिक्षा और अध्ययन का वह नूतन रूप है जिसमें समस्त प्रकार की वैज्ञानिक तथा तकनीकी प्रविधियों का समावेश है। ई-लर्निंग का अर्थ इण्टरनेट से सूचना प्रदान करने से कहीं ज्यादा है। ई-लर्निंग उन सभी चीजों तथा प्रक्रिया को अपने अन्दर समाहित करती है जो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम का उपयोग व्यावसायिक शिक्षा को सुचारु करने में उपयोगी है। ई-लर्निंग शब्द का प्रयोग एक ऐसे ढाँचे के रूप में किया जाता है जो लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों (इन्टरनेट, इंट्रानेट, एक्सट्रानेट, कृत्रिम उपग्रह प्रसारण, ऑडियो/वीडियो, इंटरैक्टिव टेलीविजन, सी-डी इत्यादि) के जरिए पेशेवर शिक्षा को विद्यार्थिंयों तक बड़े ही रोचक तरीके से पहुँचाता है। इस शब्द का प्रयोग कई जगहों पर किया जाता है; जैसे—ऑनलाइन शिक्षा, कम्प्यूटर आधारित शिक्षा, सूचना जाल आधारित शिक्षा, सूचना जाल संसाधन आधारित शिक्षा, नेटवर्क सहयोगी शिक्षा, कंप्यूटर समर्पित सहयोगी शिक्षा।
ई-लर्निंग हमारी कक्षा व्यवस्था का ही विकसित रूप है, सिर्फ अन्तर यही है कि यहाँ पर शिक्षा को विद्यार्थी की सुविधा के अनुसार बनाया जा रहा है जिससे वह अपने द्वारा निश्चित किए गए समय पर, अपनी गति से सीख सके। ई-लर्निंग टेक्नोलॉजी में जहाँ पर अब शिक्षकों को बोलकर पाठ को पढ़ाने की आवश्यकता नहीं होती बल्कि स्मार्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग करके डिजिटल माध्यम से ही पाठ को समझाना होता है। इससे बच्चे आसानी से चीजों को समझते हैं एवं जल्दी से सीखते भी हैं। मैंने खुद अपने शैक्षिककाल के दौरान अपने देश में रहते हुए देश-विदेश से एडवांस लेवल के कोर्सेज ई-लर्निंग के माध्यम से सीखे हैं
डिजिटल शिक्षा के जरिए कक्षाओं का शिक्षण अधिक मजेदार और संवादात्मक बन गया है। बच्चे इस पर अधिक ध्यान दे रहे हैं।
ई-लर्निंग के फायदे
ई-लर्निंग के जरिये सभी जन यानी विद्यार्थी, शिक्षक तथा अन्य लोग सूचना तथा विचारों का आदान-प्रदान करते हुए एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। यदि किसी विद्यालय के नजरिये से देखा जाए तो सभी के पास ज्यादा अवसर रहते हैं एक-दूसरे से जुड़े रहने के और समझने के। इन्हीं के माध्यम से निम्नलिखित को काफी हद तक सुधारा जा सकता है—
- शिक्षक एवं विद्यार्थी की क्षमता, आवश्यकता तथा उसका लक्ष्य
- पाठ की गुणवत्ता
- सीखने तथा सिखाने की रुचि
- तकनीक के माध्यम तथा उनका प्रयोग
- मूल्यांकन तथा प्रतिक्रिया
ई-लर्निंग का सबसे बड़ा लाभ समाज को यह हो रहा है कि कम खर्च में प्रभावशाली और आकर्षक शिक्षा दी जा रही है जिसे छात्र बिना किसी दबाव के स्वयं आसानी से समझ सकता है। आज ऐसे कई संगठन है जो ई-लर्निंग के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं और शिक्षा को रोचक तथा आकर्षित बनाने का प्रयास कर रहे हैं। ई-लर्निंग के आने से पहले छात्रों के सामने इंग्लिश और गणित इन दोनों विषयों में बहुत मुश्किलें आती थीं, परन्तु अब इंटरनेट पर कई ऐसी वेबसाइट्स उपलब्ध हैं जो इन विषयों को रुचिकर बनाने में सफल हुई हैं।
डिजिटल शिक्षा के जरिए कक्षाओं का शिक्षण अधिक मजेदार और संवादात्मक बन गया है। बच्चे इस पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। वे न केवल इसे सुन रहे हैं, बल्कि इसे स्क्रीन पर देख भी रहे हैं जिससे उनके सीखने की क्षमता में काफी इजाफा हो रहा है। ध्वनियों और दृश्यों के माध्यम से बच्चे आसानी से सीख रहे हैं। संवादात्मक ऑनलाइन प्रस्तुतीकरण या संवादात्मक स्क्रीन के माध्यम से व्यावहारिक सत्र में शैक्षिणिक सामग्री छात्रों को विवरणों पर और अधिक ध्यान देने में मदद करती है जिससे वे अपनी गतिविधियों को पूरा करने में सक्षम होते हैं।
पेन और पेंसिल की बजाय टैब, लैपटॉप या नोटपैड के उपयोग की सहायता से बच्चे अपने कार्यों को कम समय में पूरा कर लेते हैं। सक्रिय ऑनलाइन स्क्रीन की सहायता से छात्र अपनी भाषा कौशल में सुधार कर लेते हैं। ई-बुक से या ऑनलाइन अध्ययन सामग्री के जरएि वे नए शब्द सीखते हैं और अपनी शब्दावली का विस्तार करते हैं। कई बार ऐसा होता है कि छात्र अपने शिक्षक से कक्षा में प्रशिक्षण के दौरान प्रश्न पूछने से झिझकता है। लेकिन डिजिटल शिक्षा के माध्यम से, भले ही वह एक बार में कुछ भी न समझ पाए, फिर भी वह अपनी दुविधा को मिटाने के लिए रिकॉर्डिंग सत्र में शामिल हो सकता है। प्रौद्योगिकी छात्रों को उनकी योग्यता के अनुसार सीखने में मदद करती है। डिजिटल शिक्षा के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यह उपयोगकत्र्ता के अनुकूल है। आप कहीं भी हों तथापि आप अपने पाठ्यक्रम को बहुत आसानी से पढ़ सकते हैं। इसके अलावा आप यात्रा के दौरान भी सीख सकते हैं। यहाँ तक कि किसी कारणवश अगर आप कुछ दिन कक्षा में उपस्थित नहीं हो पाये हैं, फिर भी आप स्कूल की वेबसाइट से कक्षा की सामग्री और फाइल डाउनलोड कर सकते हैं।
अपने आप सीखें : सर्वविदित है कि आजकल ऑनलाइन अध्ययन सामग्री आसानी से उपलब्ध है। इतना कि अगर पूरी शिक्षा प्रणाली डिजिटल रूप में नहीं है, तो भी छात्र अपनी क्षमताओं के आधार पर डिजिटल सामग्री का लाभ उठा सकते हैं। इसी कारण छात्र शिक्षक के बिना भी अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए, विभिन्न विषयों के विशेष ऑनलाइन अध्ययन के अनुखंडों का उपयोग कर सकते हैं। ऑनलाइन शिक्षा के साथ-साथ छात्र दूर के सलाहकारों और संकाय से मार्गदर्शन प्राप्त करने या प्रश्नों को हल करने के लिए उनकी सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
ई-लर्निंग की परिसीमाएँ : सबसे पहले यह महँगी पद्धति है। इसी कारणवश हम देखते हैं कि अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय स्कूल और विद्यालय जिनमें शिक्षा डिजिटल है, नियमित स्कूलों की तुलना से अत्यधिक महँगे हैं। डिजिटल शिक्षा का मतलब यह है कि आपको न केवल स्कूल में बल्कि घर में भी, विशेष रूप से सस्ते ब्रॉडबैंड से उचित आधारभूत संरचना की आवश्यकता है।
ऑनलाइन सीखने के लिए बेहतर प्रबंधन और कठोर योजनाओं की आवश्यकता होती है, जब कि पारंपरिक कक्षा प्रशिक्षण में सब कुछ एक निश्चित समय सारिणी के अनुसार होता है। इंटरनेट पर सभी जवाब आसानी से प्राप्त हो जाते हैं। अत: इंटरनेट पर पूरी तरह निर्भर करना अभीष्ट नहीं है। इससे बच्चों की रचनात्मक क्षमता में कमी आ सकती है।
यह खराब अध्ययन की आदतों को जन्म दे सकता है, जिससे बच्चों में आलसी दृष्टिकोण के विकसित होने की संभावना रहती है। डिजिटल शिक्षा बच्चों की पढ़ाई के बुनियादी तरीके कोे भुला सकती है। यहाँ तक कि बच्चे अब साधारण समस्याओं और होमवर्क को भी नेट की सहायता से करते हैं। ऑनलाइन होने का मतलब यह नहीं है कि आपका बच्चा केवल अध्ययन सामग्रियों को नेट पर तलाश करता रहे। इसमें बहुत सारी चीजें ऐसी हैं जो ई-लर्निंग की कार्यप्रणाली को परिसीमित कर देती हैं। परिणामत: इन्हें बच्चों के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता। स्पष्ट है कि ई-लर्निंग की परिसीमाओं को ध्यान में रखते हुए इस पद्धति का प्रयोग किया जाना उचित है।
एनीमेशन में अपार सम्भावनाएँ
कुछ छात्रोेंं की रुचि 12वीं कक्षा के बाद एनीमेशन क्षेत्र में एक एनिमेटर बनने की होती है। यह कोर्स छात्रों को बताता है कि एनीमेशन प्रक्रिया के सभी आंतरिक कामकाज में कैसे शामिल होना चाहिए? इस कोर्स के माध्यम से आप न केवल फिल्म निर्माण प्रक्रिया के कई पहलुओं के बारे में जानने का अवसर प्रदान करते हैं, बल्कि उद्योग में अनुभव प्राप्त करने में रुचि रखने वाले अन्य लोगों के साथ नेटवर्क का मौका भी प्रदान करते हैं। एनीमेशन पाठ्यक्रम दुनियाभर के विश्वविद्यालयों और शैक्षिक संस्थानों में कराए जाते हैं। कई एनीमेशन पाठ्यक्रम स्नातकों के लिए पाठयक्रम के सफल समापन के बाद एक डिप्लोमा या प्रमाण पत्र प्रदान करते हैं। कुछ कम्पनियां टीम के निर्माण और रचनात्मक सोच के क्षेत्र में व्यावसायिक विकास के लिए एनीमेशन पाठ्यक्रम में अपने कर्मचारियों को नामांकित करती हैं।
इंट्रोडक्ट्री एनीमेशन
इस एनीमेशन पाठ्यक्रम के माध्यम से छात्रों को स्टॉप-मोशन, क्लेमेशन, 2-डी या 3-डी कंप्यूटर एनीमेशन में इस्तेमाल की जाने वाली परंपरागत और डिजिटल तकनीक की श्रेणी में प्रदर्शित करता है। छात्रों को अवलोकन और ड्रांइग कौशल विकसित करने और चरित्र डिजाइन, लेआउट और स्टोरीबोर्डिंग के मौलिक सिद्धान्तों का अध्ययन करने के बाद एनीमेशन के पीछे बुनियादी सिद्धान्त और यांत्रिकी सीखते हैं।
स्टोरीबोर्डिंग फॉर एनीमेशन
इस एनीमेशन स्टोबोर्ड के माध्यम से छात्र बुनियादी एनीमेशन सिद्धान्त और यांत्रिकी सीखते हैं। अवलोकन और ड्राइंग कौशल विकसित करते हैं और इस वर्ग में चरित्र डिजाइन, लेआउट और स्टोरीबोर्डिंग के मौलिक सिद्धान्तों का अध्ययन करते हैं। प्रत्येक एनीमेटेड चरित्र के लिए स्टोरीबोर्ड तैयार किए जाते हैं और एनीमेशन के किसी न किसी संस्करण को एक साथ रखा जाता है। इस अभ्यास को एनीमेटिक्स कहा जाता है।
कम्प्यूटर एनीमेशन
कम्प्यूटर एनीमेशन के माध्यम से छात्र कम्प्यूटर पर संश्लेषित एनीमेशन का निर्माण करना सीखते हैं। कम्प्यूटर जेनरेट किए गए प्रकाश और पृष्ठभूमि का उपयोग छात्रों द्वारा विकसित मूल वर्णों के साथ किया जाता है। कम्प्यूटर एनीमेशन उत्पादन तकनीकों का इस्तेमाल एक लघु एनीमेशन परियोजना के लिए किया जाता है।
एनीमेशन थ्रूआउट हिस्ट्री
इस कोर्स में छात्र यह सीखते हैं कि समय के साथ एनीमेशन में शैलियों और तकनीकों को कैसे बदल दिया गया है। फीचर लम्बाई एनीमेशन पेश करने वाली पहली एनिमेटेड फिल्मों से एनीमेशन की समीक्षा इस तेजी से बदलते आर्ट फॉर्म पर छात्र परिप्रेक्ष्य देता है। यह एक वैकल्पिक पाठ्यक्रम है।
3-डी-एनीमेशन क्या है?
3-डी-एनीमेशन एनीमेशन का एक प्रकार है जो एनीमेटेड पर्दे बनाने के लिए कम्प्यूटरीकृत छवियों का उपयोग करता है। 2-डी एनीमेशन या पारंपरिक एनीमेशन की तुलना में, 3-डी में बहुत अधिक यथार्थवाद दिखता है। एनीमेशन का कार्य सीखकर बच्चे एनीमेशन से सम्बन्धित अनेक नौकरियाँ पा सकते हैं। इन कार्यों का विवरण अधोलिखित है जो उन्हें जीवन की नयी राह चुनने में मदद दे सकता है—
एनीमेशन एनीमेशन का एक प्रकार है जो एनीमेटेड पर्दे बनाने के लिए कम्प्यूटरीकृत छवियों का उपयोग करता है। 2-डी एनीमेशन या पारंपरिक एनीमेशन की तुलना में, 3-डी में बहुत अधिक यथार्थवाद दिखता है। एनीमेशन का कार्य सीखकर बच्चे एनीमेशन से सम्बन्धित अनेक नौकरियाँ पा सकते हैं। इन कार्यों का विवरण अधोलिखित है जो उन्हें जीवन की नयी राह चुनने में मदद दे सकता है—
- एनीमेटर
- गेम्स डवलपर
- ग्राफिक डिजाइनर
- इलेस्ट्रेटर
- वी०एफ०एक्स० आर्टिस्ट
- वेब डिजाइनर
निम्नलिखित वे सभी जॉब्स के नाम दिये जा रहे हैं जो व्यवसायोन्मुखी हैं—
- एडवरटाइजिंग आर्ट डायरेक्टर
- आर्ट वर्कर
- एक्जीबिशन डिजाइनर
- फिल्म डायरेक्टर
- फिल्म /वीडियो एडीटर
- मल्टीमीडिया स्पेशियलिस्ट
- प्रोडक्शन डिजाइनर, थियेटर/टेलीविजन/फिल्म
- टेलीविजन प्रोडक्शन कोआर्डिनेटर
- टेलीविजन/फिल्म/वीडियो/प्रोड्यूसर