नारी सशक्तीकरण के इस युग में महिलाओं के लिए बहुआयामी उद्यम के केन्द्र स्थापित किये जाने की माँग तेजी से उभर रही है। बालिकाओं के लिए स्व-रोजगार उद्यमों का सृजन करने की दृष्टि से विशेष सिद्धान्तों तथा तकनीकों पर आधारित कार्यप्रणाली चाहिए। यह कार्यप्रणाली व्यावसायिक (यानी पेशेवर) और औद्योगिक प्रशिक्षण द्वारा विकसित होती है। निश्चय ही, आर्थिक विकास के कठिन दौर में बालिकाओं को व्यावसायिक विषयों में प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है ताकि वे अपने घर-परिवार के लिए कमायी का अतिरिक्त स्रोत बन सकें।
‘श्रेयस’ योजना : निपुणता की दिशा में कदम : शिक्षा संस्थानों से (10+2) या (+3) का प्रमाण-पत्र हासिल करने के बाद पर्याप्त हुनर (कौशल) न होने की वजह से बेरोजगार छात्र-छात्राओं की भीड़ नौकरी की तलाश में घूमती दिखायी पड़ती है। बी०ए०, बी०एस-सी० या बी०कॉम० जैसे गैर-तकनीकी कोर्स पास करने वाले डिग्रीधारकों के पास व्यवसाय सम्बन्धी विशेष ‘स्किल’ यानी ‘कुशलता’ न होने के कारण उन्हें वांछित रोजगार नहीं मिल पाता। अनेक वर्षों से देखने में आया है कि देश के करोड़ों युवाओं की बेरोजगारी के पीछे एक बड़ा कारक हुनर का अभाव है और इसी वजह से बेरोजगारों को सही रोजगार सुलभ कराने सम्बन्धी सरकार के तमाम प्रयास बौने सिद्ध हो जाते हैं।
सौभाग्यवश, भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने बेरोजगार युवक-युवतियों को ‘स्किल्ड’ बनाने के लिए ‘श्रेयस’ योजना आरम्भ करने का निर्णय लिया है। श्रेयस (Scheme for Higher Education Youth in Apprentice & Skill) नाम की योजना को प्रभावी बनाने के लिए प्रशिक्षण देने वाले शैक्षणिक संस्थान मॉनिटरिंग फैकल्टी बनाने के अलावा ए०आई०सी०टी०ई० जैसा कोई निकाय भी निर्मित करेंगे। ये संस्थान शिक्षार्थियों को स्किल-ट्रेनिंग प्रदान करते हुए उन्हें सम्बन्धित उद्योगों से संयुक्त कराने का काम भी करेंगे।
‘श्रेयस योजना’ देश के डिग्रीधारक युवक-युवतियों को कार्य विशेष में स्किल्ड बनाकर रोजगार पाने की दिशा में एक मोहक तथा सार्थक कदम है। बेहतर होगा कि प्रशिक्षणार्थियों के स्किल विकास की प्रक्रिया में उनकी रुचि के क्षेत्र को ध्यान में रखा जाये और उन्हें इसके लिए वृत्ति (Stipend) भी प्रदान की जाये। औद्योगिक संस्थान से गठजोड़ करते समय छ: महीने से लेकर एक वर्ष की ‘नियमित अनिवार्य निवासी सेवा’ (Internship) का प्रावधान उचित है। इससे प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले युवा, सम्बन्धित कम्पनी में रहते हुए कार्यानुभव प्राप्त कर इतने निपुण हो जायेंगे कि वे उस कम्पनी में ही अच्छी नौकरी पा सकेंगे।
वोकेशनल कोर्स हेतु प्रशिक्षण : वर्तमान समय में विज्ञान और तकनीकी अपने चरम पर हैं। विकास के दौर में हर कोई अपनी एक खास पहचान बनाना चाहता है और इसके लिए हर सम्भव प्रयास करता है। एक समय था कि जब बच्चों के पास चयन हेतु कुछ गिने-चुने कैरियर विकल्प होते थे लेकिन आज समय करवट ले चुका है और बच्चों के सामने अनेकानेक विकल्पों का संसार होता है। हर बच्चा कुछ अलग करने की क्षमता रखता है और उसी क्षमता के तहत अपने लिए समुचित विकल्प चुन लेता है। देश के सामने बेरोजगारी गम्भीर समस्या है। इस समस्या से निजात पाने के लिए शासन बहुत से उपाय करता है। ‘स्किल इण्डिया’ भारत सरकार की व्यवसाय- उन्मुख पहल है जिसके अन्तर्गत लोग किसी न किसी वोकेशन में दक्षता हासिल करने का प्रयास करते हैं।
हमारे देश में सरकारी और गैर-सरकारी बहुतायत में ऐसे संस्थान हैं जो युवा वर्ग को वोकेशनल कोर्स कराते हैं। इन संस्थानों में विभिन्न प्रकार के कोर्स उपलब्ध हैं जैसे, फैशन डिजाइनिंग, ग्राफिक डिजाइनिंग, हेल्थ केयर, वेब डिजाइनिंग, कुकिंग, टूरिज्म, ब्यूटीशियन, फोटोग्राफी, लाइबेरी साइंस, पेंटिंग इत्यादि। इस प्रकार के प्राय: 1000 से भी ज्यादा कोर्सेज हमारे देश में उपलब्ध हैं जिन्हें दसवीं पास या बारहवीं पास बच्चे सीख सकते हैं। ये कोर्स कुछ दिनों के हो सकते हैं। कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों की अवधि वाले भी हो सकते हैं। यहाँ प्रशिक्षणार्थी दो घण्टे से पाँच घण्टे तक उपस्थित रहकर सम्बन्धित हुनर में दक्षता प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा नगरों या उपनगरों में ऐसे वोकेशनल इंस्टीट्यूट हैं जहाँ से विशेष कोर्स में बेसिक ट्रेनिंग प्राप्त की जा सकती है। इसके बाद प्रशिक्षणार्थी किसी अच्छे और मान्य संस्थान से डिप्लोमा या डिग्री हासिल करके उसे अपना व्यवसाय बना सकते हैं।
10+2 के बाद लड़कियाँ इन कोर्सेज में से अपनी रुचि, क्षमता और योग्यता के अनुसार कोर्स का चयन करके प्रशिक्षण प्राप्त कर सकती हैं।
सरकारी/गैर-सरकारी संस्थानों में सभी वर्ग की महिलाओं के लिए उपलब्ध वोकेशनल कोर्सेज का सूक्ष्म विवरण निम्न प्रकार है—
- फैशन डिजाइनिंग- फैशन डिजाइनिंग के प्रोफेशनल डिप्लोमा कोर्सेज में प्रमुख इस प्रकार हैं: बेसिक डिजाइन एण्ड थ्योरी, टैक्स्टाइल डिजाइन एण्ड फेब्रिक, एम्ब्रोयडरी, फैशन शो कम्पीटिशन, ड्रैस पैटर्न्स एण्ड कलर, ड्रैस मेजरमैण्ट एण्ड पैटर्न्स, ड्रैस कम्पीटिशन, फैशन एण्ड कलर, ड्राफ्टिंग, स्कैचिंग, स्टिचिंग, पेपर पैटर्न आदि। इनकी अवधि प्राय: एक वर्ष होती है। फैशन डिजाइनिंग के शॉर्ट कोर्सेज के अन्तर्गत बेसिक डिजाइनिंग एण्ड थ्योरी, स्टिचिंग एम्ब्रोयडरी, ड्रैस पैटर्न एण्ड कलर्स, ड्राफ्टिंग, पेपर पैटर्न आदि मुख्य हैं। ये कोर्स तीन महीनों की अवधि वाले हो सकते हैं।
- ब्यूटीशियन— यूँ तो प्राय: तीन महीने की अवधि वाले प्रोफेशनल ब्यूटीशियन कोर्सेज बहुत सारे हैं। यहाँ हम कुछ कोर्सज को उद्धृत कर रहे हैं : थ्रेडिंग, ब्लीच (पाउडर व क्रीम), लाइट मेकअप, बैक्सिंग,नेल आर्ट, बिन्दी डिजाइनिंग, साड़ी स्टाइलिंग, लेटस्ट हेयर कटिंग, हेयर क्रिम्पिंग, हेयर स्ट्रेटनिंग, रोलर सेटिंग, परमिंग, हेयर कलरिंग, हेयर डाई व हीन, इलेक्ट्रिक रूलर सेटिंग, लेटस्ट हेयर स्टाइलिंग, स्टीम प्रैस-हेयर, स्कैल्प ट्रीटमेण्ट, ब्रिडल मेकअप, वाटरप्रूफ मेकअप, फेशियल (गालवैनिक, थर्मोहर्ब गोल्ड, सिल्वर फ्रूट, अरोमा, इंस्टैन्ट ग्लो, एण्टी रिंकल, पीलिंग, हर्बल, जेल, विटामिन, सी एण्ड टी फेशियल), प्रोफेशनल ब्रिडल मेहँदी (अरेबियन, गोल्डन, सिल्वर, शेडिड, टैटू) और मैनीक्योर-पेडीक्योर (मशीन) आदि-आदि।
- स्टिचिंग— तीन महीने के स्टिचिंग सम्बन्धित वोकेशनल कोर्स में ड्रेस डिजाइनिंग, क्विलटिंग एण्उ पैचिंग, कटिंग एण्ड टेलरिंग तथा हैण्ड एम्ब्रोयडरी शामिल होते हैं। हैण्ड एम्ब्रोयडरी के प्रशिक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के हाथ और मशीन वाले स्टिचिज आते हैं। इसमें शाल, गाउन, बेडशीट्स, सूट्स और साड़ियों पर उपयोगी कार्य सिखाया जाता है।
- टेक्सटाइल डिजाइनिंग— ३ माह की पूर्णकालिक अवधि वाला यह प्रशिक्षण कोर्स काफी लोकप्रिय है। इसमें टेक्सटाइल (थ्योरी के साथ ) प्रिंट्स व टेक्सचर, बेसिक डिजाइनिंग, नेचर व टेक्सटाइल स्टडी, टेक्सटाइल प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी, कलर-टेक्सचर, स्क्रीन व ब्लॉक प्रिंटिंग, फैब्रिक, करटेन व बेडशीट प्रिंटिंग, टाई व डाई और बाटिक कार्य सम्मिलित हैं।
- इंटीरिअर डिजाइनिंग— इस वोकेशनल कोर्स में ड्राइंग रूम, बेड रूम, किडरूम, किचन, डाइनिंग रूम, गेस्ट रूम, ऑफिस तथा समूचे घर का सौन्दर्यीकरण शामिल होता है। इसकी प्रशिक्षण तीन महीने में पूरा होता है।
- आधुनिक कुकिंग कोर्स—कुकिंग कोर्सेज मेन्यू के अनुसार अनेकानेक किस्म के हैं। इनके सीखने की अवधि कुछ एक दिनों की है। इनका प्रशिक्षण एक दिन से लेकर पन्द्रह दिनों तक की अवधि का हो सकता है। कुकिंग के सभी कोर्सेज के बारे में बताना यहाँ सम्भव नहीं है। हाँ कुछ की जानकारी इस प्रकार दी जा रही है—सूप्स, शेक्स, स्वीट्स, चॉकलेट कोर्स, साउथ इण्डियन, चटपटी चाट, फ़ूड प्रीजरवेशन, सलाद, स्पेशन सैंडविच कोर्स, आइसक्रीम, चटनी, रायता,चिल्ड्रन टिफिन कोर्स, किटी पार्टी एण्ड बर्थ डे स्नेक्स, माइक्रोवेव, दुल्हन स्पेशल, बेकिंग, चाइनीज, मुगलई, थाई, इटेलियन (पास्ता कोर्स), क्विक ऑट स्नेक्स, सिजलर/प्लैटर्स/ पिज्जा/पास्ता/रैप तथा टेबिल मैनर्स व एटीकेट्स इत्यादि।
- हैण्डीक्राफ्ट्स— यह डिप्लोमा कोर्स एक से दो हफ्तों वाला हो सकता है। हैण्डीक्राफ्ट्स के हुनरमंद लोग घर बैठे अच्छी कमाई कर सकते हैं। इसके मुख्य कोर्स निम्नलिखित हो सकते हैं, जैसे—रंगोली, डौल मेकिंग, कैंडल मेकिंग, फ्लावर मेकिंग, मूर्तिकला, बोंसाई, बन्दनवार, पम-पम ट्व्याज, स्टफ्ड ट्व्याज, पॉट डिजाइनिंग, एम्बॉस पेंटिंग, क्ले पेंटिग, सिरेमिक वर्क, कॉन पेंटिंग, न्यू वुडन लैम्प शेड, वॉटर फाल तथा वेस्ट मैटीरियल कोर्स आदि।
- आर्ट एण्ड क्राफ्ट—आर्ट एवं क्राफ्ट से जुड़ी विविध कलाओं की अवधि इस बात पर निर्भर करती है कि उस कृति का आकार व प्रकार क्या है? इस विधा के अन्तर्गत बहुत सारी पेंटिग तैयार की जाती है, इनमें ऑयल, ब्रास, कॉन, झरोखा, टायल, मुराल, मीनाकारी, फैब्रिक, तंजोर, स्टेनग्लास पेंटिंग, फेवीसील सिरेमिक, मॉडर्न पेंटिंग तथा स्पेशल व्हील पेंटिंग आदि प्रमुख हैं। इसके अलावा वॉल पेनल्स, स्पेशल क्ले वर्क, चाइनीज फैन, ग्लास इचिंग के कोर्स भी हैं।
उपरोक्त शीर्षकों के अन्तर्गत वोकेशनल कोर्स के भरपूर अवसरों के बारे में जानकारी दी गयी है। (10+2) के बाद लड़कियाँ इन कोर्सेज में से अपनी रुचि, क्षमता और योग्यता के अनुसार कोर्स का चयन करके प्रशिक्षण प्राप्त कर सकती हैं। कोर्स करके उनके अन्दर जो हुनर विकसित होगा उसकी मदद से वे खासा स्व-रोजगार उपक्रम संचालित कर सकती हैं आर बखूबी जीवन निर्वाह कर सकती हैं। महिला उद्यम विकास संस्थान की निदेशिका होने के नाते मुझे वोकेशनल कोर्सेज के बारे में दशकों पुनाना अनुभव है। हमारे संस्थान से रुचिकर व विशिष्ट कोर्स का प्रशिक्षण प्राप्त करके सैकडों लड़कियाँ और महिलाएँ अपने परिवार का जीवन-यापन कर रही हैं।